है बला का उछाल पानी में उठ रहे हैं ख़याल पानी में जल भी सकते हैं, इतनी देर तलक हाथ अपने न डाल पानी में हम अहिंसक उसे कहें कैसे जिसने फेंका है जाल पानी में काग़ज़ी कश्तियों की शक्लों में ख़्वाब अपने न डाल पानी में देखते-सोचते ही फिर कोई … Continue reading है बला का उछाल पानी में
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